
Friday, 20 December 2013
सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून /प्रोत्साहन कानून
सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून /प्रोत्साहन कानून
वन्देमातरम, सांप्रदायिक हिंसा रोकथाम कानून पर हमारा मत क्या हो, इससे पूर्व यह समझना आवश्यक है, कि इसमे है क्या ? किन्तु एक प्रश्न सबसे अधिक सता रहा था।

भारत के विरुद्ध चल रहे इतने बड़े षड्यंत्र के बारे में इस समाज को कैसे बताया और समझाया जाए। देश का मीडिया इस कानून के सांप्रदायिक पक्ष को नही दिखा रहा है, केवल राजनीतिक प्रतिक्रिया दिखा रहा है।क्योंकि सांप्रदायिक मुद्दे पर सत्य कथन को सांप्रदायिक मान मीडिया बच रहा है।…
....... अधिक जानकारी के लिए यहाँ बटन दबाएँWednesday, 18 December 2013
देवयानी खोब्रागडे, व अमानवीय अमरीका
WEDNESDAY, DECEMBER 18, 2013
भारतीय विदेश सचिव सुजाता सिंह की कथित अतिसफल वाशिंगटन यात्रा संपन्न होने के अगले ही दिनन्यूयार्क में उप महावाणिज्य दूत 1999 भाविसे चयनित देवयानी खोब्रागडे का अमानवीय अपमान भारत और अमेरिका .......पूरा पढ़ने के लिए शीर्षक का बटन
देवयानी खोब्रागडे, व अमानवीय अमरीका
यहाँ दबाएँ - तिलकविश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
घर 4 दीवारी से नहीं 4 जनों से बनता है, परिवार उनके प्रेम
और तालमेल से बनता है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
यह राष्ट्र जो कभी विश्वगुरु था, आज भी इसमें वह गुण,
योग्यता व क्षमता विद्यमान है | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की
परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
Thursday, 21 November 2013
ऐसा कैसे होता है ?
ऐसा कैसे होता है ?
बृहस्पतिवार, 21 नवम्बर 2013
Current Q: जब देश को बेशर्मी से लूटा जाता है, नेता को न न्याय का भय,
न 5 वर्षीय लोकतन्त्री कुम्भ में जनता का होता है। बल्कि सत्ता में बने रहने का विश्वास होता है। .....Read full, all laguages
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इतिहास को सही दृष्टी से परखें। गौरव जगाएं, भूलें सुधारें।
आइये, आप ओर हम मिलकर इस दिशा में आगे बढेंगे, देश बड़ेगा । तिलक YDMS
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Saturday, 9 November 2013
'राष्ट्र-ऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगडी' एक जीवनी
'राष्ट्र-ऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगडी' एक जीवनी
हे राष्ट्र-ऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगडी - युगदर्पण मीडिया परिवार करता हैं, तुमको शत शत नमन!
श्री दत्तोपंत ठेंगडी - नमन! हे राष्ट्र-ऋषि तुमको
-विनोद बंसल, लेखक-9810949109
श्री दत्तोपंत ठेंगडी जी का नाम मन में आते ही, उनके जीवन के विविध आयाम, अनायास ही मन-मस्तिष्क में उभर कर सामने आ जाते हैं। एक ज्येष्ठ स्वतंत्रता सेनानी, कुशल संघटक, अनेक राष्ट्र प्रेमी संगठनों के शिल्पकार, विख्यात विचारक, लेखक, संतो के समान त्यागी और संयमित जीवन जीने वाले, श्री दत्तोपंत जी ठेंगडी ने भारतीय किसानों व मजदूरों को ससम्मान जीवन जीने का अवसर तो प्रदान कराया ही, भारत की कीर्ति विश्व पटल पर अंकित करने में भी उन्होंने अनुपम भूमिका निभाई।
10 नवंबर 1920 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी शहर में जन्मे, श्री ठेंगडी एक प्रसिद्ध वकील श्री बाबुराव दाजीबा ठेंगडी के ज्येष्ठ पुत्र थे। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, और सामाजिक कार्य के प्रति ललक ने, उन्हें विद्यार्थी जीवन में ही स्वतंत्रता संग्राम में उतार दिया। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे आर्वी तालुका नगरपालिका हाईस्कूल के अध्यक्ष चुने गए।
स्नातकोत्तर और विधि स्नातक की औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलीराम हेडगेवार और श्री गुरूजी के जीवन से प्रेरणा लेकर सन 1942 से 1945 तक उन्होंने केरल जैसे ईसाई बाहुल्य राज्य और 1945 से 1948 तक साम्यवादियों के ग़ढ माने जाने वाले बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य किया। इन दोंनों राज्यों में उस समय संघ कार्य करना अत्यन्त दुष्कर था, जिसे उन्होंने अपने परिश्रम व सूझ-बूझ से गति प्रदान की।
सन 1949 से वे मजदूर क्षेत्र की विविध समस्याओं के गहन अध्ययन में जुट गए और अक्तूबर 1950 में वे पहली बार इंटक (Indian National Trade Union Congress) की राष्ट्रीय परिषद सदस्य तथा मध्य प्रदेश इंटक शाखा के संगठन मंत्री चुने गए। 1952 से 1955 के मध्य कम्युनिस्ट प्रभावित ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (ए.आई बी.ई.ए.) नामक मजदूर संगठन के प्रांतीय संगठन मंत्री रहते हुए उन्होंने पोस्टल, जीवन-बीमा, रेल्वे, कपडा व कोयला उद्योग से संबंधित मजदूर संगठनों के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इसी मध्य वे पत्रकारिता व लेखन जगत से भी जुडे और हिंदुस्तान समाचार नामक बहुभाषी समाचार संस्था के संगठन मंत्री बने।
1955 से 1959 के बीच मध्यप्रदेश तथा दक्षिणी प्रांतों में भारतीय जनसंघ की स्थापना और जगह-जगह पर जनसंघ का बीजारोपण करने का दायित्व भी ठेंगडी जी पर ही रहा। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 1955 में ही पर्यावरण मंच तथा सर्व धर्म समादर मंच की स्थापना भी उन्होंने की।
23 जुलाई 1955 के दिन, उन्होंने छोटे छोटे मजदूर संघों को मिलाकर भारतीय मजदूर संघ (बी. एम. एस.) नामक एक ऐसे वट वृक्ष का बीजारोपण किया। जिसके बारे में उन्होंने भी शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह विश्व का सबसे बडा व सर्व श्रेष्ठ मजदूर संगठन बन जाएगा। देखते ही देखते बीएमएस आज मात्र एक संगठन ही नहीं, बल्कि संगठनों का संगठन बन, मजदूरों व मालिकों के विविध संगठनों के बीच एक बडी कडी बन गया है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 50 लाख को पार कर चुकी है।
1967 में उन्होंने भारतीय श्रम अन्वेषण केन्द्र व 1990 में स्वदेशी जागरण मंच की नींव डाली। राज्य सभा के सदस्य रहते, संसदीय कार्यकाल में मजदूर संघ का प्रतिनिधित्व करते हुए, उन्होंने अनेक बार विदेश यात्रा की। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व व विदेशों के मजदूर आन्दोलनों का अध्ययन करने हेतू उन्होंने अमेरिका, युगोस्लाविया, चीन, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, इंडोनेशिया, म्यानमार, थाईलैण्ड, मलेशिया, सिंगापुर, कीनिया, युगांडा तथा तंजानिया जैसे अनेक देशों का भ्रमण किया और 1977 के स्विट्जरलैण्ड में हुए, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 68वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। 1985 में अखिल चाइना ट्रेड यूनियन फेडरेशन के निमंत्रण पर, भारतीय मजदूर संघ के पॉच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने चीन में जो भाषण दिया, उसे बीजिंग रेडियो से भी प्रसारित किया गया। अमेरिका व ब्रिटेन सहित विश्व के अनेक देशों ने उनके कौशल का लोहा मानते हुए, उन्हें अपने -अपने देशों में व्याप्त मजदूरों व किसानों से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन व् समाधान हेतु आमंत्रित किया। विश्व पटल पर वे इन विषयों के विशेषज्ञ माने जाते थे।
प्रखर सोच व उत्तम विचारों के धनी श्री दत्तोपंत जी ने हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में लगभग सौ से अधिक पुस्तकों का लेखन किया। उनकी कृतियों में ‘राष्ट्र’, ‘ध्येयपथ पर किसान’, ‘तत्व जिज्ञासा’, ‘विचार सूत्र’, ‘संकेत रेखा’, ‘Third Way’, ‘एकात्म मानववाद-एक अध्ययन’, ‘डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर’, ‘सप्त क्रम लक्ष्य और कार्य’ आदि प्रमुख थीं।
50 वर्ष से अधिक समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सृजनात्मक कार्यो के लिए, एक विस्तृत पृष्ठ भूमि तैयार करते हुए, उन्होंने भारतीय किसान संघ, सामाजिक समरसता मंच, सर्व पंथ समादर मंच, स्वदेशी जागरण मंच, संस्कार भारती, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, भारतीय विचार केंद्र, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत आदि संगठनों का निर्माण किया। देश का शायद ही कोई ऐसा मजदूर संगठन होगा, जिसे दत्तोपंत जी का मार्गदर्शन न मिला हो। समाज के कमजोर वर्गो यानि शोषित श्रम-जीवियों की हालत सुधारने के लिए, केवल वैचारिक योगदान ही नहीं दिया, बल्कि देशभर में अन्याय, अत्याचार, विषमता और दीनता से जूझने के लिए, कर्मठ व लगनशील कार्यकर्ताओं का निर्माण भी किया।
कम्युनिस्ट समेत अनेक विचार-धाराओं के शीर्ष नेताओं से उन्होंने आत्मीयता पूर्ण संबंध स्थापित किए। भण्डारा से जब बाबा साहेब अम्बेडकर लोकसभा का चुनाव लड़ रहे थे, तब उनके चुनाव प्रभारी के नाते उन्होंने कार्यभार संभाला था। अम्बेडकर जी से घनिष्ट संबन्धों के चलते, उन्होंने अपने जीवन के अंतिम दिनों में श्री बाबासाहेब अम्बेडकर पर एक पुस्तक भी लिखी।
पद्म भूषण लेने से इनकार
वे ऐसे महा-पुरुष थे, जो प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा की आकांक्षा से कोसों दूर थे। सन 2003 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर, उन्हें प्रसिद्ध भारतीय सम्मान पद्म भूषण के लिए चुना गया, किन्तु उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम को एक पत्र लिख कर, इसे लेने के लिए असमर्थता प्रकट करते हुए कहा कि वह स्वयं को इस अलंकरण के योग्य नहीं समझते। उन्होंने कहा है कि सरकार को यदि कोई अलंकरण देना ही था, तो उसे सर्वप्रथम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जन्मदाता डा. केशवराव बलीराम हेडगेवार और संघ का कार्य देश विदेश में फैलाने वाले श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर (श्री गुरूजी) को भारत रत्न से अलंकृत किया जाना चाहिए था। वे तो संघ परिवार की मात्र एक शाखा के अगुआ भर रहे हैं।
उनको श्रद्धांजलि देते हुए, विवेकानंद केन्द्र (कन्याकुमारी) के अध्यक्ष एवं भारतीय विचार केन्द्रम के निदेशक श्री पी. परमेश्वरन ने लिखा है कि वे एक प्रखर विचारक, असाधारण संगठक और विद्वान तो थे ही, एक महान कार्यकर्ता भी थे। स्पष्ट तथ्यात्मकता के साथ वे एक ऐसे सिद्धान्तवादी थे, जो कभी समझौता नहीं करते। भारत का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन, 'भारतीय मजदूर संघ' उनके व्यावहारिक आदर्शवाद का जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे समय में जब प्रत्येक राजनीतिक दल का एक श्रम प्रकोष्ठ था, ठेंगडी जी ने बड़े साहस के साथ किसी राजनीतिक दल से बिल्कुल असम्बद्ध रहने वाला, भारतीय मूल्यों के आधार पर श्रमिक संगठन खड़ा किया था। भारतीय मजदूर संघ की सफलता सिद्ध करती है, कि भारत को एक राष्ट्रवादी आंदोलन खड़ा करने के लिए, किसी विदेशी विचारधारा की जरूरत नहीं है। विचारों की स्पष्टता, अभिव्यक्ति की तीक्ष्णता और समझ की गहनता, उनको अपने समय की एक महानतम विभूति बनाती है। प्रसिद्धि-पराङगमुखता, उन्हें अन्य नेताओं व विभूतियों से बिल्कुल अलग, 'एक देदीप्यमान व्यक्तित्व' प्रदान करती थी। केवल संघ विचार परिवार में ही नहीं, उनके मित्र और प्रशंसक विश्व भर में हैं।
ऐसे राष्ट्र ऋषि को शत्-शत् नमन्।
राष्ट्र-ऋषि, ठेंगडीजी, विख्यात विचारक, लेखक, संघटक, भामसं जनक,
http://jeevanmelaadarpan.blogspot.in/2013/11/blog-post.html
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
हे राष्ट्र-ऋषि श्री दत्तोपंत ठेंगडी - युगदर्पण मीडिया परिवार करता हैं, तुमको शत शत नमन!
श्री दत्तोपंत ठेंगडी - नमन! हे राष्ट्र-ऋषि तुमको
-विनोद बंसल, लेखक-9810949109

10 नवंबर 1920 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के आर्वी शहर में जन्मे, श्री ठेंगडी एक प्रसिद्ध वकील श्री बाबुराव दाजीबा ठेंगडी के ज्येष्ठ पुत्र थे। बचपन से ही कुशाग्र बुद्धि, और सामाजिक कार्य के प्रति ललक ने, उन्हें विद्यार्थी जीवन में ही स्वतंत्रता संग्राम में उतार दिया। केवल 15 वर्ष की आयु में ही वे आर्वी तालुका नगरपालिका हाईस्कूल के अध्यक्ष चुने गए।
स्नातकोत्तर और विधि स्नातक की औपचारिक शिक्षा पूरी करने के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशवराव बलीराम हेडगेवार और श्री गुरूजी के जीवन से प्रेरणा लेकर सन 1942 से 1945 तक उन्होंने केरल जैसे ईसाई बाहुल्य राज्य और 1945 से 1948 तक साम्यवादियों के ग़ढ माने जाने वाले बंगाल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रांत प्रचारक के रूप में कार्य किया। इन दोंनों राज्यों में उस समय संघ कार्य करना अत्यन्त दुष्कर था, जिसे उन्होंने अपने परिश्रम व सूझ-बूझ से गति प्रदान की।
सन 1949 से वे मजदूर क्षेत्र की विविध समस्याओं के गहन अध्ययन में जुट गए और अक्तूबर 1950 में वे पहली बार इंटक (Indian National Trade Union Congress) की राष्ट्रीय परिषद सदस्य तथा मध्य प्रदेश इंटक शाखा के संगठन मंत्री चुने गए। 1952 से 1955 के मध्य कम्युनिस्ट प्रभावित ऑल इंडिया बैंक एम्प्लाइज एसोसिएशन (ए.आई बी.ई.ए.) नामक मजदूर संगठन के प्रांतीय संगठन मंत्री रहते हुए उन्होंने पोस्टल, जीवन-बीमा, रेल्वे, कपडा व कोयला उद्योग से संबंधित मजदूर संगठनों के अध्यक्ष के रूप में भी कार्य किया। इसी मध्य वे पत्रकारिता व लेखन जगत से भी जुडे और हिंदुस्तान समाचार नामक बहुभाषी समाचार संस्था के संगठन मंत्री बने।
1955 से 1959 के बीच मध्यप्रदेश तथा दक्षिणी प्रांतों में भारतीय जनसंघ की स्थापना और जगह-जगह पर जनसंघ का बीजारोपण करने का दायित्व भी ठेंगडी जी पर ही रहा। वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के संस्थापक सदस्यों में से एक थे। 1955 में ही पर्यावरण मंच तथा सर्व धर्म समादर मंच की स्थापना भी उन्होंने की।
23 जुलाई 1955 के दिन, उन्होंने छोटे छोटे मजदूर संघों को मिलाकर भारतीय मजदूर संघ (बी. एम. एस.) नामक एक ऐसे वट वृक्ष का बीजारोपण किया। जिसके बारे में उन्होंने भी शायद ही ऐसी कल्पना की होगी कि वह विश्व का सबसे बडा व सर्व श्रेष्ठ मजदूर संगठन बन जाएगा। देखते ही देखते बीएमएस आज मात्र एक संगठन ही नहीं, बल्कि संगठनों का संगठन बन, मजदूरों व मालिकों के विविध संगठनों के बीच एक बडी कडी बन गया है। एक अनुमान के अनुसार वर्तमान में इसकी सदस्य संख्या 50 लाख को पार कर चुकी है।
1967 में उन्होंने भारतीय श्रम अन्वेषण केन्द्र व 1990 में स्वदेशी जागरण मंच की नींव डाली। राज्य सभा के सदस्य रहते, संसदीय कार्यकाल में मजदूर संघ का प्रतिनिधित्व करते हुए, उन्होंने अनेक बार विदेश यात्रा की। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठनों में भारत का प्रतिनिधित्व व विदेशों के मजदूर आन्दोलनों का अध्ययन करने हेतू उन्होंने अमेरिका, युगोस्लाविया, चीन, कनाडा, ब्रिटेन, रूस, इंडोनेशिया, म्यानमार, थाईलैण्ड, मलेशिया, सिंगापुर, कीनिया, युगांडा तथा तंजानिया जैसे अनेक देशों का भ्रमण किया और 1977 के स्विट्जरलैण्ड में हुए, अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के 68वें अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया। 1985 में अखिल चाइना ट्रेड यूनियन फेडरेशन के निमंत्रण पर, भारतीय मजदूर संघ के पॉच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करते हुए, उन्होंने चीन में जो भाषण दिया, उसे बीजिंग रेडियो से भी प्रसारित किया गया। अमेरिका व ब्रिटेन सहित विश्व के अनेक देशों ने उनके कौशल का लोहा मानते हुए, उन्हें अपने -अपने देशों में व्याप्त मजदूरों व किसानों से सम्बन्धित समस्याओं के अध्ययन व् समाधान हेतु आमंत्रित किया। विश्व पटल पर वे इन विषयों के विशेषज्ञ माने जाते थे।
प्रखर सोच व उत्तम विचारों के धनी श्री दत्तोपंत जी ने हिंदी, अंग्रेजी और मराठी में लगभग सौ से अधिक पुस्तकों का लेखन किया। उनकी कृतियों में ‘राष्ट्र’, ‘ध्येयपथ पर किसान’, ‘तत्व जिज्ञासा’, ‘विचार सूत्र’, ‘संकेत रेखा’, ‘Third Way’, ‘एकात्म मानववाद-एक अध्ययन’, ‘डॉ. बाबा साहेब अंबेडकर’, ‘सप्त क्रम लक्ष्य और कार्य’ आदि प्रमुख थीं।
50 वर्ष से अधिक समय तक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सृजनात्मक कार्यो के लिए, एक विस्तृत पृष्ठ भूमि तैयार करते हुए, उन्होंने भारतीय किसान संघ, सामाजिक समरसता मंच, सर्व पंथ समादर मंच, स्वदेशी जागरण मंच, संस्कार भारती, अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद, भारतीय विचार केंद्र, अखिल भारतीय ग्राहक पंचायत आदि संगठनों का निर्माण किया। देश का शायद ही कोई ऐसा मजदूर संगठन होगा, जिसे दत्तोपंत जी का मार्गदर्शन न मिला हो। समाज के कमजोर वर्गो यानि शोषित श्रम-जीवियों की हालत सुधारने के लिए, केवल वैचारिक योगदान ही नहीं दिया, बल्कि देशभर में अन्याय, अत्याचार, विषमता और दीनता से जूझने के लिए, कर्मठ व लगनशील कार्यकर्ताओं का निर्माण भी किया।
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पद्म भूषण लेने से इनकार
वे ऐसे महा-पुरुष थे, जो प्रसिद्धि व प्रतिष्ठा की आकांक्षा से कोसों दूर थे। सन 2003 के गणतंत्र दिवस के अवसर पर, उन्हें प्रसिद्ध भारतीय सम्मान पद्म भूषण के लिए चुना गया, किन्तु उन्होंने तत्कालीन राष्ट्रपति श्री एपीजे अब्दुल कलाम को एक पत्र लिख कर, इसे लेने के लिए असमर्थता प्रकट करते हुए कहा कि वह स्वयं को इस अलंकरण के योग्य नहीं समझते। उन्होंने कहा है कि सरकार को यदि कोई अलंकरण देना ही था, तो उसे सर्वप्रथम राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के जन्मदाता डा. केशवराव बलीराम हेडगेवार और संघ का कार्य देश विदेश में फैलाने वाले श्री माधव सदाशिव राव गोलवलकर (श्री गुरूजी) को भारत रत्न से अलंकृत किया जाना चाहिए था। वे तो संघ परिवार की मात्र एक शाखा के अगुआ भर रहे हैं।
उनको श्रद्धांजलि देते हुए, विवेकानंद केन्द्र (कन्याकुमारी) के अध्यक्ष एवं भारतीय विचार केन्द्रम के निदेशक श्री पी. परमेश्वरन ने लिखा है कि वे एक प्रखर विचारक, असाधारण संगठक और विद्वान तो थे ही, एक महान कार्यकर्ता भी थे। स्पष्ट तथ्यात्मकता के साथ वे एक ऐसे सिद्धान्तवादी थे, जो कभी समझौता नहीं करते। भारत का सबसे बड़ा श्रमिक संगठन, 'भारतीय मजदूर संघ' उनके व्यावहारिक आदर्शवाद का जीता-जागता उदाहरण है। ऐसे समय में जब प्रत्येक राजनीतिक दल का एक श्रम प्रकोष्ठ था, ठेंगडी जी ने बड़े साहस के साथ किसी राजनीतिक दल से बिल्कुल असम्बद्ध रहने वाला, भारतीय मूल्यों के आधार पर श्रमिक संगठन खड़ा किया था। भारतीय मजदूर संघ की सफलता सिद्ध करती है, कि भारत को एक राष्ट्रवादी आंदोलन खड़ा करने के लिए, किसी विदेशी विचारधारा की जरूरत नहीं है। विचारों की स्पष्टता, अभिव्यक्ति की तीक्ष्णता और समझ की गहनता, उनको अपने समय की एक महानतम विभूति बनाती है। प्रसिद्धि-पराङगमुखता, उन्हें अन्य नेताओं व विभूतियों से बिल्कुल अलग, 'एक देदीप्यमान व्यक्तित्व' प्रदान करती थी। केवल संघ विचार परिवार में ही नहीं, उनके मित्र और प्रशंसक विश्व भर में हैं।
ऐसे राष्ट्र ऋषि को शत्-शत् नमन्।
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Friday, 1 November 2013
मासिक हलचल अक्टूबर
मासिक हलचल अक्टूबर। Wednesday, October 30, 2013
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण
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मासिक हलचल अक्टूबर। पर्व, विशुद्ध चुनावी राजनीति की दिशा व चेहरे, बचकाना बयान
नरेंद्र मोदी की दिल्ली रैली में हुंकार
मोदी ने अपने डेढ़ घंटे के भाषण में क्या कहा, उसके मुख्य बिंदु हम आपके लिये लेकर आये हैं।.......
2008 में स्वामी लक्ष्मणानंद की हत्या के लिए दोषी 7 ईसाई WEDNESDAY, OCTOBER 2, 2013
5 वर्ष पूर्व स्वामी लक्ष्मणानंद सरस्वती जी की हत्या का कुचक्र, हिन्दुओं के विरुद्ध वातावरण का कुचक्र, ईसाइयों को विदेशी मिशनरियों द्वारा धर्मान्तरण व कुचक्र रचने में भरपूर सहयोग की निष्पक्ष न्यायिक जाँच होनी चाहिए। साथ ही धर्म निरपेक्षता के नाम पर राष्ट्र द्रोहियों का समर्थन करने वाले शर्म निरपेक्ष चेहरे सामने आने चाहिए, उनकी भी जाँच होनी चाहिए।...
शारदीय नवरात्रि 2013
Saturday, October 5, 2013
अखिल विश्व में फैले हिन्दू समाज सहित सभी देश वासियों को सपरिवार शारदीय नवरात्रों की हार्दिक बधाई व शुभकामनायें - युग दर्पण परिवार YDMS
शारदीय नवरात्रि सभी नवरात्रों में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण नवरात्रि है। .....
शारदीय नवरात्रि सभी नवरात्रों में सबसे लोकप्रिय और महत्वपूर्ण नवरात्रि है। .....
कम्पू जी, आधुनिक कार्टून
शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013
प्रज्ञावान राष्ट्रभक्तो, अष्टमी के शुभावसर पर आपका अभिनन्दन करने के साथ, आइये इस विशिष्ट कार्टून कम्पू जी, का शुभारंभ करते हैं। .....
कम्पू जी, आधुनिक कार्टून 1
शुक्रवार, 11 अक्तूबर 2013
Current Q: Why Seculars can not Tolerate Nationalism.......
कम्पू जी, 2 चक्रवात क्यों ?
Sunday, October 13, 2013 सोनिया गाँधी देश को बताएं, जब राम का अस्तित्व स्वीकार नहीं, श्रद्धा नहीं, धार्मिक मंच पर क्या करने गई, विशुद्ध चुनावी राजनीती ?
रावण का दर्द! कम्पू जी, 3 monday, october 14, 2013 दहन के समय रावण की आँखों में आंसू थे और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, व सोनिया गांधी मुस्कुरा रहे थे ? ?।.....
ध्यान से देखो, इन चेहरों को!!
शनिवार, 19 अक्तूबर 2013 रामलीला के मंच पर, हाथ में धनुष लिए इन चेहरों को! जूठे प्रचार के लिए फोटो में रावण पर तीर चलाने वाले, जीवन के मंच से सर्वोच्च न्यायलय तक राम पर तीर, कैसे चलाते हैं ?........
एक बचकाना बयान की भावना SATURDAY, OCTOBER 26, 2013 मुज्जफरनगर दंगे पर राहुल के ISI वाले गैर-जिम्मेदाराना और बचकाना बयान के बचाव में आए, कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह। ....
सत्य का तथ्य (2013) TUESDAY, OCTOBER 29, 2013 (एक वार्षिक परिक्रमा).....
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दूषित राजनीति के बिकाऊ नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का
सार्थक संकल्प Join YDMS ;qxniZ.k सन 2001 से हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, पंजी सं RNI DelHin 11786/2001 विशेष प्रस्तुति विविध विषयों के 28+1 ब्लाग, 5 चैनल व अन्य सूत्र, की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611, 9999777358, 8743033968
सार्थक संकल्प Join YDMS ;qxniZ.k सन 2001 से हिंदी साप्ताहिक राष्ट्रीय समाचार पत्र, पंजी सं RNI DelHin 11786/2001 विशेष प्रस्तुति विविध विषयों के 28+1 ब्लाग, 5 चैनल व अन्य सूत्र, की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। तिलक -संपादक युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. 9911111611, 9999777358, 8743033968
YDMS যুগদর্পণ, યુગદર્પણ ਯੁਗਦਰ੍ਪਣ, யுகதர்பண യുഗദര്പണ యుగదర్పణ ಯುಗದರ್ಪಣ,
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
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Wednesday, 30 October 2013
सत्य का तथ्य (2013)
सत्य का तथ्य (2013) Monday, October 28, 2013
सत्य का तथ्य -(एक वार्षिक परिक्रमा)
সত্য ঘটনা, સત્ય હકીકતો, सत्य तथ्ये, ಸತ್ಯ ಫ್ಯಾಕ್ಟ್ಸ್, உண்மையை உண்மைகள், ట్రూత్ వాస్తవాలు, സത്യ ക തതയ , ਦਾ ਤਥ੍ਯ, Facts of the Truth, सत्यश्च तथ्य:, سچ کی حقیقت , حقایق حقیقت ,
(नव महाभारत दर्पण monday, june 17, 2013) महाभारत 2014 की रणभेरी बज उठी है।
भ्रम के घनघोर अंधेरों में
इन्हें अवश्य देखें, विशेषकर सत्यदर्पण:- ...और कितना गिरोगे देश के गद्दारो ?
व YDMS के 28 विविध ब्लाग 5 चेनल व अन्यसूत्र
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का एक सार्थक संकल्प युग दर्पण YDMS
- (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की 60 से अधिक देशों में एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी इस सोच व संघर्ष के साथी बन सकते हैं, लेखक न भी हों, तो इसके समर्थक/प्रचारक बनकर।
यह केवल एक समाचारपत्र या ब्लाग नहीं, पूर्व में बंगाल से पश्चिम के गुजराज, उत्तर के पंजाब से चारों दक्षिणी राज्यों व भाषाओँ तक सभी देश भक्तों का व्यापक मंच है। मैकाले ने एक विचार दिया इस देश के अस्तित्व को प्रदूषित कलंकित करने का, राष्ट्रद्रोही शर्मनिर्पेक्षों ने कर दिखाया। इसी को बदलने के व्यापक विकल्प से जुड़ कर, अब राष्ट्र भक्त अपना दायित्व निभाएंगे।
मैकालेवादी दास प्रवृति व मानसिकता के लोगों की अपने विदेशी स्वामियों के प्रति जितनी निष्ठा है, यदि उसका 1 लाखवां अंश भी अपनी भारत भूमि के प्रति निष्ठा रहती: तो भारत की यह दुर्दशा कभी न होती। भारत के पुत्रो, आइये राष्ट्र की इस सुप्त चेतना को पुनर्जागृत व प्रतिष्ठित करें। -तिलक YDMS वन्देमातरम
सत्ता की सीता का हरण करने, कोई स्वार्थ का बिका लोभी रावण छद्म वेश में छल न ले! स्वयं जागें, देश जगाएँ।
2008 में भी आम आदमी के नाम से छला गया अब भी छलने की है तैयारी, बस पात्र बदल गए हैं इस बारी।।
यह केवल एक समाचारपत्र या ब्लाग नहीं, पूर्व में बंगाल से पश्चिम के गुजराज, उत्तर के पंजाब से चारों दक्षिणी राज्यों व भाषाओँ तक सभी देश भक्तों का व्यापक मंच है। मैकाले ने एक विचार दिया इस देश के अस्तित्व को प्रदूषित कलंकित करने का, राष्ट्रद्रोही शर्मनिर्पेक्षों ने कर दिखाया। इसी को बदलने के व्यापक विकल्प से जुड़ कर, अब राष्ट्र भक्त अपना दायित्व निभाएंगे।
मैकालेवादी दास प्रवृति व मानसिकता के लोगों की अपने विदेशी स्वामियों के प्रति जितनी निष्ठा है, यदि उसका 1 लाखवां अंश भी अपनी भारत भूमि के प्रति निष्ठा रहती: तो भारत की यह दुर्दशा कभी न होती। भारत के पुत्रो, आइये राष्ट्र की इस सुप्त चेतना को पुनर्जागृत व प्रतिष्ठित करें। -तिलक YDMS वन्देमातरम
सत्ता की सीता का हरण करने, कोई स्वार्थ का बिका लोभी रावण छद्म वेश में छल न ले! स्वयं जागें, देश जगाएँ।
2008 में भी आम आदमी के नाम से छला गया अब भी छलने की है तैयारी, बस पात्र बदल गए हैं इस बारी।।
(कविता) स्वामी विवेकानन्द महान। saturday, january 5, 2013,
नेता जी सुभाष के जन्म दिवस पर उन्हें शत शंत नमन ...!!(लेख) tuesday, january 22, 2013,
बसंत पंचमी 15.2.2013,राष्ट्र रक्षा संकल्प दिवस
हिंदुत्व एक जीवन शैली
** "हे भारत की नारी"**
राष्ट्र की दुर्दशा, कारण, निवारण : january 20, 2013,भारतीय शिक्षा प्रणाली का विनाश,
वैचारिक क्रांति का सूत्रपात, कुचक्रों से घिरा राष्ट्र जागे ! saturday, march 30, 2013,
2 -3, मार्च 2013 अध्यक्षीय भाषण- राष्ट्रीय परिषद की बैठक, tuesday, march 5, 2013,
नरेंद्र मोदी का धर्मनिरपेक्षता मंत्र: march 11, 2013,
छत्रपति शिवाजी का मराठा साम्राज्य
कौन सच्चा है कौन झूठा saturday, july 27, 2013,
ब्लाग पर पधारे देसी विदेशी आगंतुक, पराजय में है - 'अजेय' का मन्त्र ! -तिलक
wednesday, may 15, 2013,
भारत की सीमा पर चीनी सेना द्वारा फिर घुसपैठ। देश के भविष्य का आधार
उतराखंड में विनाश प्राकृतिक नहीं, षड़यंत्र ! , तथा इस माह रामलीला, कम्पूजी व राजनीती पर, व्यंग चित्र व कार्टून,
ऐसे अनेकों समाचार, लेख, स्तम्भ, काव्य, व्यंग चित्र व कार्टून, व अन्य प्रस्तुतियां, जिन्हें फेस बुक या ट्वीटर से लम्बे समय कटे रहने से, विविध विषयों के 28 ब्लाग से, आपसे शेयर नहीं कर सका।YDMS ब्लाग, 5 चेनल व मेरे G+ गूगल के मित्र, आप सभी "मेरे फेस बुक के नए या ट्वीटर' के सूत्र देख लें व जुड़ सकते हैं ।
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-
नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक व्यापक विकल्प का सार्थक संकल्प
-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर इसे बनायें; -तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण
की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
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-युगदर्पण मीडिया समूह YDMS- तिलक संपादक
विश्वगुरु रहा वो भारत, इंडिया के पीछे कहीं खो गया |
इंडिया से भारत बनकर ही, विश्व गुरु बन सकता है; - तिलक
पूरा परिवेश पश्चिम की भेंट चढ़ गया है | उसे संस्कारित, योग, आयुर्वेद का अनुसरण कर
हम अपने जीवन को उचित शैली में ढाल सकते हैं | आओ मिलकर इसे बनायें; - तिलक
हम जो भी कार्य करते हैं, परिवार/काम धंधे के लिए करते हैं |
देश की बिगडती दशा व दिशा की ओर कोई नहीं देखता | आओ मिलकर इसे बनायें; -तिलक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण
की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका;
विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण
की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक
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