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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

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Wednesday 26 December 2012

अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं

हिंदी, Bangla, Tamil, Telugu, malmkannad, Odiya, Gujrati, Gumu, Eng... 

 "अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं; 
(गुलामी के संकेत/हस्ताक्षर, जो मनाना चाहें)
उमंग उत्साह, चाहे जितना दिखाएँ; 
चैत्र के नव रात्रे, जब जब भी आयें
घर घर सजाएँ, उमंग के दीपक जलाएं; 
आनंद से, ब्रह्माण्ड तक को महकाएं; 
विश्व में, भारत का गौरव बढाएं " 
जनवरी 2013, ही क्यों ? वर्ष के 365 दिन ही मंगलमय हों, 
भारत भ्रष्टाचार व आतंकवाद से मुक्त हो, 
हम अपने आदर्श व संस्कृति को पुनर्प्रतिष्ठित कर सकें ! 
इन्ही शुभकामनाओं के साथ, भवदीय.. तिलक 
संपादक युगदर्पण राष्ट्रीय साप्ताहिक हिंदी समाचार-पत्र. YDMS 09911111611. 

Bangla... 

 অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং 

 "অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং; (দাসত্ব সংকেত / সাইন, যা তুষ্ট হতে পারে) উমংগ উত্সাহ, চাহে জিতনা দিখাএঁ; চৈত্র কে নব রাত্রে, জব জব ভী আযেং; ঘর ঘর সজাএঁ, উমংগ কে দীপক জলাএং; আনংদ সে, ব্রহ্মাণ্ড তক কো মহকাএং; বিশ্ব মেং, ভারত কা গৌরব বঢাএং "জানুয়ারি 1, 2013,হী কেন ? বর্ষ কে 365 দিন হী মংগলময হোং, ভারত ভ্রষ্টাচার ব আতংকবাদ সে মুক্ত হো, হম অপনে আদর্শ ব সংস্কৃতি কো পুনর্প্রতিষ্ঠিত কর সকেং ! ইন্হী শুভকামনাওং কে সাথ, ভবদীয.. তিলক সংপাদক যুগদর্পণ রাষ্ট্রীয সাপ্তাহিক হিংদী সমাচার-পত্র. YDMS 09911111611. 
Tamil... "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்"
 "அங்க்றேழி கா நவ்வர்ஷ், பாளே ஹாய் மணாஎன்; (மயக்க இது அடிமைத்தன சமிக்ஞை / அடையாளம்,) உமங்க் உட்சாஹ், சாஹெ சித்னா டிக்ஹாஎன்; செட்ர் கே நவ்ராற்றே, ஜப் ஜப் பீ ஆயேன்; கர் கர் சஜாயேன், உமாங் கே தீபக் ஜலாயேன்; ஆனந்த சே, பிராமாந்து தக் கோ மஹ்காயென்; விஷ்வ மீ, பாரத் கா கௌரவ் படாஎன். "ஜனவரி 1, 2013, ஏன்ஒரே ஒரு? வ வர்ஷ் கே 365 டின் ஹாய் மங்கலமாய் ஹோண், பாரத் பிராஷ்டாச்சர் வ ஆடன்க்வாத் சே முகத் ஹோ, ஹம அப்னே ஆதர்ஷ் வ சன்ச்க்ருடி கோ புன்ர்ப்ரடிஷ்திட் கற் சகேன் ! இன்ஹி சுபா காமனாஒன் கே சாத், பாவ்டிய.. திலக் சம்பாடக் யுக டர்பன் ராஷ்ட்ரிய சப்டாஹிக் ஹிந்தி சமாச்சார்-பற்ற. YDMS 09911111611.
 Eng.  "One may celebrate even English New Year, (Slavery signal / sign, you may coax) with exaltation and excitement; Chaitra Nav Ratre whenever it comes; decorate house, enlighten with lamps of exaltation; enjoy, even enrich the universe with Happiness; Increase the India's pride in the world, Why January 1, 2013, alone ? All the 365 days of the year are Auspicious, May India be free of corruption and terrorism, we can ReEstablish Ideals, values and culture ! with these good wishes, Sincerely .. Tilak editor YugDarpan Hindi national weekly newspaper. YDMS 09,911,111,611.
 Odiya ..not getting ? 
 "Angrejee kaa nav-varsh, bhale hi manaayen; (Gulaami ke sanket /  , jo  manana  chahen ? umang utsaah, chaahe jitnaa dikhaayen; chetr ke nav-raatre, jab jab bhi aayen; ghar ghar sajaayen, umang ke deepak jalaayen; Aanand se, brahmaand tak ko mahkaayen; Vishva me, Bhaarat kaa gaurav badaayen." matr 1 Jan 2013, hi kyon ? varsh ke 365 din hi mangalmay hon, Bhaarat bhrashtaachar v aatankvaad se mukt ho, ham apne aadarsh v sanskruti ko punrpratishthit kar saken ! inhi shubhakaamanaaon ke saath, bhavdiya.. Tilak Sampaadak Yug Darpan Raashtriya Saptaahik Hindi Samaachar-Patra. YDMS 09911111611.
 Telugu "అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; 
"అంగ్రేజీ కా నవ్వర్ష్, భలే హాయ్ మనాఎన్; (పొగడ్తలు ఇది బానిసత్వం సిగ్నల్ / గుర్తు) ఉమంగ్ ఉత్సః, చాహే జితనా దిఖాఎన్; చేతర్ కె నవరాత్రు, జబ జబ భి ఆయెన్; ఘర్ ఘర్ సజాఎన్, ఉమంగ్ కె దీపక్ జలాఎన్; ఆనంద్ సే, బ్రహ్మాండ్ తక కో మహ్కాఎన్; విశ్వ మే, భారత్ కా గౌరవ్ బదాఎన్. " జనవరి 1, 2013, ఎందుకు మాత్రమే  వ వర్ష కె 365 దిన్ హాయ్ మంగల్మి హాన్, భారత్ భ్రష్టాచార్ వ ఆటన్క్వాద్ సే ముక్త  హో, హం అపనే ఆదర్శ్ వ సంస్కృతి కో పున్ర్ప్రతిశ్తిట్ కర్ సకేన్ ! ఇంహి శుభాకామనావున్ కె సాత్, భవదీయ.. తిలక్ సంపాదక్ యుగ దర్పన్ రాష్ట్రీయ సప్తాహిక్ హిందీ సమాచార్-పాత్ర. YDMS 09911111611.
 Gujrati અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; 
"અંગ્રેઝી કા નવવર્ષ, ભલે હી માંનાયેન; (સ્લેવરી સિગ્નલ / સાઇન છે, કે જે મનાવવું શકે છે) ઉમંગ ઉત્સાહ, ચાહે જીતના દીખાયેન; ચેત્ર કે નવરાત્રે, જબ જબ ભી આયેન; ઘર ઘર સજાયેન, ઉમંગ કે દિપક જલાયેન; આનંદ સે, બ્રહ્માંડ તક કો મહ્કાયેન; વિશ્વ મેં, ભારત કા ગૌરવ  બદાયેન. "માત્ર જાન્યુઆરી 1, 2013, શા માટે? વર્ષ કે 365 દિન હી મંગલમય હોં, ભારત ભ્રષ્ટાચાર વ આતંકવાદ સે મુક્ત હો, હમ અપને આદર્શ વ સંસ્કૃતિ કો પુન્ર્પ્રતીશ્થીત કર સકેં ! ઇન્હી શુભકામનાઓન કે સાથ, ભવદીય.. તિલક સંપાદક યુગ દર્પણ રાષ્ટ્રીય સાપ્તાહિક હિન્દી સમાચાર -પત્ર.YDMS 09911111611.
 kannad "ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; 
"ಆಂಗ್ರೆಶಿ ಕಾ ನವ -ವರ್ಷ, ಭಲೇ ಹಿ ಮನಾಯೇನ್; (ಏಕಾಕ್ಷ ಇದು ಗುಲಾಮಗಿರಿ ಸಂಕೇತ / ಸೈನ್) ಉಮಂಗ್ ಉತ್ಸಃ, ಚಾಹೆ ಜಿತನಾ ದಿಖಾಯೇನ್; ಚೆತ್ರ್ ಕೆ ನವ್ರಾತ್ರೆ, ಜಬ್ ಜಬ್ ಭಿ ಆಯೇನ್; ಘರ್ ಘರ್ ಸಜಾಯೇನ್, ಉಮಂಗ್ ಕೆ ದೀಪಕ್ ಜಲಾಯೇನ್; ಆನಂದ್ ಸೆ, ಬ್ರಹ್ಮಾಂದ್ ತಕ ಕೊ ಮಹ್ಕಾಯೇನ್; ವಿಶ್ವ ಮೇ, ಭಾರತ ಕಾ ಗೌರವ್ ಬದಾಯೇನ್. "ಜನವರಿ 1, 2013, ಏಕೆ ಮಾತ್ರ ವ ವರ್ಷ ಕೆ 365 ದೀನ್ ಹಿ ಮಂಗಲ್ಮಿ ಹೊಂ, ಭಾರತ ಭ್ರಷ್ತಾಚರ್ ವ ಆತಂಕ್ವಾದ್ ಸೆ ಮುಕ್ತ ಹೊ, ಹಮ್ ಅಪನೇ ಆದರ್ಶ್ ವ ಸಂಸ್ಕೃತಿ ಕೊ ಪುನ್ರ್ಪ್ರತಿಷ್ಟ್ಹತ್  ಕರ್  ಸಕೆನ್ ! ಇನ್ಹಿ ಶುಭಕಾಮನಾಒನ್ ಕೆ ಸಾಥ್, ಭಾವ್ದಿಯ.. ತಿಲಕ್ ಸಂಪಾಡಕ್ ಯುಗ ದರ್ಪಣ್ ರಾಷ್ಟ್ರೀಯ ಸಪ್ತಾಹಿಕ್ ಹಿಂದಿ ಸಮಾಚಾರ್ -ಪತ್ರ . YDMS 09911111611.
 Gumu. "ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ
"ਅੰਗ੍ਰੇਜੀ ਦਾ ਨਵਾਂ ਵਰਸ਼ ਭਲੇ ਹੀ ਮਨਾਓ, ਗੁਲਾਮੀ ਦਾ ਪ੍ਰਤੀਕ /ਸੰਕੇਤ, ਉਮੰਗ ਉਤਸਾਹ ਚਾਹੇ ਜਿਤਨਾ ਦਿਖਾਓ; ਚੇਤਰ ਦੇ ਨਵਰਾਤਰੇ ਜਦ ਜਦ ਵੀ ਆਉਣ; ਘਰ ਘਰ ਸਜਾਓ, ਉਮੰਗ ਦੇ ਦੀਪਕ ਜਲਾਓ; ਆਨਾਨਾਦ ਨਾ ਬ੍ਰਹ੍ਮਾੰਡ ਨੂ ਮਹ੍ਕਾਓ, ਵਿਸ਼ਵ ਵਿਚ, ਭਾਰਤ ਦਾ ਗ਼ੋਰਾਵ ਵਧਾਓ. "1 ਜਨ. 2013 ਹ ਕਯੋਂ ? ਵ ਵਰ੍ਸ਼ ਦੇ 365 ਦਿਨ ਹੀ ਮੰਗਲ ਮਯ ਹੋਣ, ਭ੍ਰਸ਼੍ਟਾਚਾਰ ਤੇ ਆਤੰਕ ਵਾਦ ਤੋਂ ਭਾਰਤ ਮੁਕਤ ਹੋਵੇ, ਅਸਾਂ ਆਪਣੇ ਆਦਰ੍ਸ਼ ਤੇ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤਿ ਨੂੰ ਫੇਰ ਸ੍ਥਾਪਿਤ ਕਰ ਸਕਿਏ ! ਇਨਹਾਂ ਸ਼ੁਭ ਕਾਮਨਾਵਾਂ ਦੇ ਨਾਲ, ਆਪਦਾ.. ਤਿਲਕ -ਸੰਪਾਦਕ ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ, ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰੀਯ ਸਾਪ੍ਤਾਹਿਕ ਸਮਾਚਾਰ ਪਤ੍ਰ. YDMS 09911111611.
 malm "അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; 
"അന്ഗ്രെജീ  കാ  നവ വര്‍ഷ, ഭലേ ഹി മനായേന്‍; (ഗുലാമി ക പ്രറ്റീക്/സന്കെറ്റ്, ജോ മനന ചാഹെ) ഉമന്ഗ് ഉറ്റ്സാഹ്, ചാഹെ ജിതനാ ദിഖയെന്‍; ചേട്ര്‍ കെ നവ്രട്രെ, ജബ് ജബ് ഭീ ആയെന്‍; ഘര്‍ ഘര്‍ സജായെന്‍, ഉമന്ഗ് കെ ദീപക് ജലായെന്‍; ആനന്ദ് സെ, ബ്രഹ്മാന്ദ് ടാക് കോ മഹാകായെന്‍; വിശ്വ് മി, ഭാരത കാ ഗൌരവ് ബടായെന്‍. "ഐ ജന. 2013 ഹി ക്യോന്‍? വ വര്‍ഷ കെ 365 ദിന്‍ ഹി മങ്ങല്‍മി ഹോണ്‍, ഭാരത ഭ്രാഷ്ടാചാര്‍ വ ആടങ്ക്വാദ് സെ മുക്റ്റ് ഹോ, ഹാം അപ്നെ ആദര്‍ശ് വ സന്സ്ക്രുടി കോ പുന്ര്പ്രടിശ്തിറ്റ് കാര്‍ സകെന്‍ ! ഇന്ഹി ശുഭ കാമ്നാഒന്‌ കെ സാത്, ഭവദീയ.. തിളക് സംപാടാക് യുഗ്ദാര്പന്‍ രാഷ്ട്രീയ ഹിന്ദി സമാചാര്‍ പടര്‍. YDMS 09911111611.

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Monday 17 December 2012

"यात्रा 2009-2014, आम से गुठली तक"

"यात्रा 2009-2014, आम से गुठली तक" 
युग दर्पण हिंदी राष्ट्रीय समाचारपत्र  (के कम्पू जी )....
प्र.2009 में नारा था आम आदमी, अब तक आम का चूस चूस कर गुठली बन गया
-यदि 2014 तक देश बचा रहा, तब। 2014 में क्या नारा रहेगा ?
उ.- राहुल बाबा आएंगे, गुठली सरकार लायेंगे 
चूस चूस के खायेंगे, देश की गुठली बनायेंगे।। 
चमचो ताली बजाओ, हा हा हा 

इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण 12 वर्ष से सतत संघर्षरत। तब मैकालेवाद तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया से भ्रमित प्रभावित, युगदर्पण समाचार पत्र के विरोध में खड़े रहते थे, समर्थन में नहीं। आज आवाजें उठाने सुनने वाले अनेक हैं। YDMS की विविधता, व्यापकता व लेखन का परिचय: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में राष्ट्रवाद के विविध विषय के 25 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc सहित एक वेब भी है। 
मैं युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ हूँ, क्या आप भी साथ देना चाहते हैं ? आइयें, हम सब अलग अलग न रह कर या अलग अलग रहते भी, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ मिलकर चलें। अपनी पसंद का विषय 25 में से एक लेकर, मिलकर ही हम बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। -तथा "राष्ट्र वादी मीडिया" उसका विकल्प बन सकता है।"वन्देमातरम" को अपना मंत्र बनायें। 
अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग…remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 … www.yugdarpan.com
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Friday 14 December 2012

फेक बुक पोल खोल -भा.1

फेक बुक पोल खोल -भा.1 
Most important, Read Full, सर्वाधिक महत्वपूर्ण, पूर्ण पढ़ें,
वंदे मातरम, जो राष्ट्रवाद के YDMS से प्यार व समर्थन करते हैं, किंतु अभी आगे से यहाँ संपर्क नहीं मिलता है और मुझे (हिंद के रक्षक) पढ़ने के लिए चाहते हैं। वे 25 ब्लॉगों, 5 चैनल, वर्डप्रेस.कॉम, आर्कट, ट्वीटर सभी लिंक के रूप में वेब yugdarpan.com पर(दिखाया गया) है, आयें पका स्वागत हैं। यहाँ FB में सन्देश या टिप्पणी पोस्ट करना अवरुद्ध है। पके समर्थन के लिए प सभी का आभारी हूँ।
फेस बुक/ फेक बुक 'नकली पुस्तिका' से सभी प्रकार के राष्ट्र विरोधी कृत्यों की अनुमति दी जाती है, क्यों ? क्योंकि, हम उनके विरोध में कभी शिकायत नहीं करते, करें तब कार्यवाही नहीं लेकिन वे तत्व कभी नकली शिकायत, स्पैम के रूप में करते है, और 'नकली पुस्तिका प्रबंधन' के लिए हमारे जैसे अनेक पर कार्यवाही स्पैम जाँच के बिना, क्यों आवश्यक रहती है ? वे संज्ञान (Cognition) लेकर हम में से कई खाते ब्लॉक कर देते हैं। हिंद के रक्षक, YDMS जोरदार शब्दों में विरोध करता है हमारे प्रबल विरोध से, फेक बुक (नकली पुस्तिका) द्वारा, मेरे पर पूर्ण प्रतिबंध भी हो सकता है। अंतरताना एक आकाश की सीमा से बाहर नहीं है, जोकि मेरे विरोध प्रदर्शन के लिए खुला है। Orkut.co.in, blogger.com वर्डप्रेस.कॉम आदि- सभी अमेरिकन प्लान प्रतिस्पर्धा के शब्द हैं।    जब 'नकली पुस्तिका प्रबंधन' सभी सक्रिय राष्ट्र विरोधी के कहने से एक तरफ़ा प्रतिबंध से, वे 'जैसे को तैसा' करने के लिए, हमें बाध्य (मजबूर) कर रहे हैं। हमारे कहने से खाते बंद करने पर तो नकली बही एक विशाल रद्दी भंडार हो सकता है। तथा बंद न करने से पक्ष -पात का प्रमाण। 
आज क्यों, हिंद के रक्षक, का खाता अवरुद्ध करने से हम एक सन्देश और FR भेजने, या टिप्पणी पोस्ट व Like करने में, असमर्थ है ?
खाता क्यों अवरुद्ध है ? मैने किसी भी समय स्पैम नहीं भेजा है। आत्म पते पर ही पूर्व प्रकाशि पोस्ट को टैग जोड़ने के प्रयास में स्पैम का नाम देकर खाता अवरुद्ध करना, कैसा व्यवहार है ? क्या किसी के कहने से किया ? जब आगे नया साल, दोस्त बनाने के लिए समय है। तब क्या समस्या है ? 
अमेरिकन प्लान फेक बुक (नकली पुस्तिका प्रबंधन) से भारतीय "हिंद के रक्षक" का सीधा प्रश्न -क्या, अपने पोस्ट में टैग जोड़ने के लिए प्रयास, मित्रता और पोस्ट एक अपराध है ? क्या, यहाँ हमारा खाता एक सजावटी वस्तु हैं ? हा हा हा, क्या यह एक विचार है (What an idea it is)अवरुद्ध खाते में से 90% ऐसे कर रहे हैं। और सभी डेटा एक रद्दी (कबाड़) है। क्या एक अच्छा नकली पुस्तक कबाड़ प्रबंधन की (शर्तें) नीति और एक रद्दी वर्ष के लिए फेक (नकली बही) बुक से भारतीय "हिंद के रक्षक" का 2013 मुबारक।  ....आपका "हिंद के रक्षक" ...(आगे भा.2)
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Thursday 6 December 2012

भाजपा नेतृत्व दूसरी पीढ़ी के नेताओं के हाथ।

भाजपा नेतृत्व दूसरी पीढ़ी के नेताओं के हाथ राजनैतिक विचार मंथन  Like, comment, share, tag 50 frnds


भाजपा के मुख्य मंत्री दाएं से बाएं, नरेंद्र मोदी (गुजरात), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), पीके धूमल (हिमाचल प्रदेश), 
पू. मु. मं. अर्जुन मुंडा (झारखंड), रमेश पोखरियाल निशंक (उत्तराखंड) और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी

अंतत: सुषमा जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक 'सशक्त प्रत्याशी" के रूप में नरेंद्र मोदी का समर्थन किया।"  भाजपा में आडवाणी जी की संभावना को 2009 में जिस तरह से नष्ट होते देखा गया तथा सुषमा जी, सीमित सार्वजनिक आकर्षण के साथ एक अच्छी वक्ता है। इन के बाद प्रशासकीय क्षमता में गडकरी स्वयं की भूमिका वास्तव में जानता है तथा शक्ति खेल से बाहर ही रहा है। जेटली ने लोकसभा चुनाव कभी नहीं जीता है। वह और गडकरी संभवत: इस पद के लिए सभी से कम योग्य हैं। तब नेतृत्व का सारा  दायित्व दूसरी पीढ़ी पर ही आता है।
सब से पहले, शर्मनिरपेक्ष मीडिया द्वारा शीर्ष भाजपा नेतृत्व की वर्तमान पीढ़ी के नेताओं के बारे में सदा अप्रचार चलता रहा तथा अब तक जारी है किन्तु एक नए रूप में, जैसे कि इनकी उपयोगितासमाप्त हो गयी है। ये लोग क्षुद्र प्रतिद्वंद्विता में फंस गए हैं। और औसत दर्जे का एक पठार तक पहुँच चुके हैं।... तथा इस अगली पीढ़ी के भाजपा मुख्यमंत्रियों पर कलंक लगाने के सफल असफल प्रयास भी चलते रहे हैं।              वास्तव में केंद्र का पूरा तंत्र, मीडिया की पूरी टीम समेत, सभी शर्मनिरपेक्ष  सदा भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों की तरह व्यवहार करते रहे हैं। दूसरी ओर, जहाँ मीडिया के बल पर 65 वर्ष कांग्रेस पार्टी के हर नेता ने सदा बयानबाजी और नारेबाजी से जनता को भरमाया है। किन्तु, वहीं शर्मनिरपेक्ष मीडिया के प्रतिद्वंद्वी बन जाने पर भी स्पष्ट है; कि भाजपा नेताओं को जनता द्वारा जब तब मुख्यमंत्री के रूप में प्रदर्शन का एक अवसर देने पर भी वह दिखा देते हैं, कि भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री प्रबंधन में समक्ष हैं। 
चाहे वे भाजपा के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (गुजरात), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), पीके धूमल (हिमाचल प्रदेश) हो अथवा पू.मु.मं. अर्जुन मुंडा (झारखंड), रमेश पोखरियाल निशंक (उत्तराखंड) यदूरपा (कर्नाटक) और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी हो।  इन सब के बीच कुछ नेताओं ने जनता का विश्वास जीत लिया और बने रहे, तथा अन्य कुछ नेता सच्चे होकर भी असफल रहे। तब विफल रहे नेता को अयोग्य प्रबंधक कहलाने का दंश भी झेलना पड़ गया। जबकि विशाल दक्षिण भारतीय क्षेत्र में भाजपा के पैर जमाने में, विशेषकर कर्नाटक एक काफी महत्वपूर्ण राज्य था।
गुजरात चुनाव में कांग्रेस को एक राजनीतिक झटका देने की क्षमता भाजपा में है। अत: भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों ने, न केवल किसी भी दुराव छिपाव के बिना मोदी का समर्थन किया है, किन्तु उसके लिए चुनाव प्रचार भी किया गया है। यह भीड़ को उत्साहित करने में ही नहीं चाहिए, किन्तु इसका दीर्घकालिक व दूरगमी प्रभाव भाजपा के भविष्य (चुनाव 2014) पर भी रहना है। 
शर्मनिरपेक्ष कांग्रेस के लिए संभवत: अयोग्य प्रबंधन यह सामान्य बात है, ऐसा करने तथा भ्रष्टाचार के कारण उसने जनता का यह विश्वास खो दिया है, वह वापस नहीं हो सकता। किन्तु भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों ने दिखाया है कि वे कैसे दक्षता के साथ शासन करने के लिए योग्य हैं। तो हम जानते हैं कि वे सभी सक्षम पुरुष हैं।  पूरे कांग्रेस मशीनरी के उनके खिलाफ रहने के बाद भी, उनमें से BSY के अलावा अन्य कोई भी, किसी भी मामले में नहीं फंसा है। हम जानते हैं कि वे सब बहुत ईमानदार है। वे हर बार चुनाव सरलता से जीत लेते है। 
तो हम जानते हैं कि इन लोगों में वह जनाकर्षण है और ये राष्ट्रीय स्तर पर इसका उपयोग कर सकते हैं। उनका उत्साह साफ नजर आता  है किन्तु स्पष्ट है कि अहं किसी में हीं नहीं दिख रहा है। स्पष्ट रूप से वे, राष्ट्रीय परिदृश्य में मोदी के बड़ते कदम के आसपास भी न रहने से परेशान नहीं हैं। इन लोगों से मुझे आशा जागी है कि भाजपा नेताओं में, हमें अगले दशक में और उसके बाद भी नेतृत्व करने के लिए एक दूसरी पीढ़ी उपलब्ध है।
 ऐसे सक्षम नेतृत्व की एक दूसरी पीढ़ी भविष्य में भाजपा को एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना देगी। जबकि राहुल और प्रियंका के रहते कांग्रेस आलाकमान की किसी को इनके आसपास भी लाने की कोई इच्छा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस सहित क्षेत्रीय पार्टियाँ या तो सभी परिवार चलाने के लिए या एक व्यक्तित्व पंथ पर आधारित हैं। वहां दूसरी पीढ़ी के नेतृत्व की कोई सम्भावना नहीं है। वाम पंथ का रूस -चीन मोह स्पष्ट रूप से देख जान कर एक राष्ट्रीय बन सकना असंभव है।
यही कारण है कि हमें भाजपा के भविष्य के बारे में जानकर अच्छा लगता हैं। यदि हम केवल वर्तमान गंदगी से उठ कर चल सकते हैं और 2014 जीतने के लिए एक मार्ग मिल सकता हैं।आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
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देश की श्रेष्ठ प्रतिभा, प्रबंधन पर राजनिति के ग्रहण की परिणति दर्शाने का प्रयास | -तिलक संपादक

Thursday 29 November 2012

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

 भा रत और भारत के लोगों के बारे में एक धारणा विश्व में बनाई गई कि भारत जादू-टोना और अंधविश्वासों का देश है। अज्ञानियों का राष्ट्र है। भारत के निवासियों की कोई वैज्ञानिक दृष्टि नहीं रही, न ही विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान है। 
भारत के संदर्भ में यह प्रचार (BrainWash) विचार रिवर्तन लंबे समय से आज तक चला आ रहा है। रिणाम यह हुआ कि अधिकतर भारतवासियों के अंतर्मन में यह बात अच्छे से बैठ गई कि विज्ञान यूरोप की देन है। विज्ञान का सूर्य पश्चिम में ही उगा था, उसी के प्रकाश से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। 
इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज हम हर बात में पश्चिम के पिछलग्गू हो गए हैं क्योंकि हम पश्चिम की सोच को वैज्ञानिक सम्मत मानते हैं, भारत की नहीं। पश्चिम ने जो सोचा है, अपनाया है वह मानव जाति के लिए उचित ही होगा। इसलिए हमें भी उसका अनुकरण करना चाहिए। 
भारत में योग पश्चिम से योगा होकर आया, तो जमकर अपनाया गया। आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति को हटाकर एलोपैथी के व्यवसाय को अपनाया लोगों की आंखें तब खुली, जब आयुर्वेद पश्चिम से हर्बल का लेवल लगाकर आया। भारत में विज्ञान को लेकर जो वातावरण निर्मित हुआ उसके लिए हमारे देश के कर्णधार व नकी नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं। जिन्होंने भी शोध और विमर्श के बाद भी, भारतीय शिक्षा व्यवस्था में, भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा को शामिल नहीं किया। भारत के छात्रों का क्या दोष, जब उन्हें पढ़ाया ही नहीं जाएगा; तो उन्हें कहां से मालूम चलेगा कि भारत में विज्ञान का स्तर कितना उन्नत था। 
    विज्ञान और तकनीकी मात्र पश्चिम की देन है या भारत में भी इसकी कोई परंपरा थी? भारत में किन-किन क्षेत्रों में वैज्ञानिक विकास हुआ था? विज्ञान और तकनीकी के अंतिम उद्देश्य को लेकर क्या भारत में कोई विज्ञानदृष्टि थी? और यदि थी तो आज की विज्ञानदृष्टि से उसकी विशेषता क्या थी? आज विश्व के सामने विज्ञान एवं तकनीक के विकास के साथ जो समस्याएं खड़ी हैं; उनका समाधान क्या भारतीय विज्ञान दृष्टि में है? ऊपर के पैरे को पढ़कर निश्चित तौर पर हर किसी के मन में यही प्रश्न हिलोरे मारेंगे तो इनके उत्तर के लिए 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' पुस्तक पढऩी चाहिए। 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुरेश सोनी की इस पुस्तक में भी प्रश्न के उत्तर   निहित हैं। पुस्तक में कुल इक्कीस अध्याय हैं। धातु विज्ञान, विमान विद्या, गणित, काल गणना, खगोल विज्ञान, रसायन शास्त्र, वनस्पति शास्त्र, प्राणि शास्त्र, कृषि विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, ध्वनि और वाणी विज्ञान, लिपि विज्ञान सहित विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भारत का क्या योगदान रहा; इसकी विस्तृत चर्चा, प्रमाण सहित पुस्तक में की गई है। यही नहीं, यह भी स्पष्ट किया गया है कि विज्ञान को लेकर पश्चिम और भारतीय धारणा में कितना अंतर है। जहां पश्चिम की धारणा उपभोग की है, जिसके नतीजे आगे चलकर विध्वंसक के रूप में सामने आते हैं। वहीं भारतीय धारणा लोक कल्याण की है। 
सुरेश सोनी मनोगत में लिखते हैं कि आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय की 'हिन्दू केमेस्ट्री', ब्रजेन्द्रनाथ सील की 'दी पॉजेटिव सायन्स ऑफ एन्शीयन्ट हिन्दूज', राव साहब वझे की 'हिन्दी शिल्प मात्र' और धर्मपालजी की 'इण्डियन सायन्स एण्ड टेकनोलॉजी इन दी एटीन्थ सेंचुरी' में भारत में विज्ञान व तकनीकी परंपराओं को प्रमाणों के साथ उद्घाटित किया गया है। वर्तमान में संस्कृत भारती ने संस्कृत में विज्ञान और वनस्पति विज्ञान, भौतिकी, धातुकर्म, मशीनों, रसायन शास्त्र आदि विषयों पर कई पुस्तकें निकालकर इस विषय को आगे बढ़ाया। बेंगलूरु के एमपी राव ने विमानशास्त्र व वाराणसी के पीजी डोंगरे ने अंशबोधिनी पर विशेष रूप से प्रयोग किए। डॉ. मुरली मनोहर जोशी के लेखों, व्याख्यानों में प्राचीन भारतीय विज्ञान परंपरा को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।
    भारत में विज्ञान की क्या दशा और दिशा थी, उसको समझने के लिए आज भी वे ग्रंथ उपलब्ध हैं, जिनकी रचना के लिए वैज्ञानिक ऋषियों ने अपना जीवन खपया। वर्तमान में आवश्यकता है कि उनका अध्ययन हो, विश्लेषण हो और प्रयोग किए जाएं। जबकि कई विद्याएं जानने वालों के साथ ही लुप्त हो गईं, क्योंकि हमारे यहां मान्यता रही कि अनधिकारी के हाथ में विद्या नहीं जानी चाहिए। विज्ञान के संबंध में अनेक ग्रंथ थे, जिनमें से कई आज लुप्त हो गए हैं। जबकि आज भी लाखों पांडुलिपियां बिखरी पड़ी हैं। भृगु, वशिष्ठ, भारद्वाज, आत्रि, गर्ग, शौनक, शुक्र, नारद, चाक्रायण, धुंडीनाथ, नंदीश, काश्यप, अगस्त्य, परशुराम, द्रोण, दीर्घतमस, कणाद, चरक, धनंवतरी, सुश्रुत पाणिनि और पतंजलि आदि ऐसे नाम हैं; जिन्होंने विमान विद्या, नक्षत्र विज्ञान, रसायन विज्ञान, अस्त्र-शस्त्र रचना, जहाज निर्माण और जीवन के सभी क्षेत्रों में काम किया। अगस्त्य ऋषि की संहिता के उपलब्ध कुछ पन्नों को अध्ययन कर नागपुर के संस्कृत के विद्वान डॉ. एससी सहस्त्रबुद्धे को मालूम हुआ कि उन पन्नों पर इलेक्ट्रिक सेल बनाने की विधि थी। महर्षि भरद्वाज रचित विमान शास्त्र में अनेक यंत्रों का वर्णन है। नासा में काम कर रहे वैज्ञानिक ने सन् १९७३ में इस शास्त्र को भारत से मंगाया था। इतना ही नहीं, राजा भोज के समरांगण सूत्रधार का 31वें अध्याय में अनेक यंत्रों का वर्णन है। लकड़ी के वायुयान, यांत्रिक दरबान और सिपाही (रोबोट की तरह)। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में चिकित्सा की उन्नत पद्धितियों का विस्तार से वर्णन है। यहां तक कि सुश्रुत ने तो आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का वर्णन किया है। सृष्टि का रहस्य जानने के लिए आज जो महाप्रयोग चल रहा है, उसकी नींव भी भारतीय वैज्ञानिक ने रखी थी। सत्येन्द्रनाथ बोस के फोटोन कणों के व्यवहार पर गणितीय व्याख्या के आधार पर, ऐसे कणों को बोसोन नाम दिया गया है। 
    भारत में सदैव से विज्ञान की धारा बहती रही है। बीच में कुछ बाह्य आक्रमणों के कारण कुछ गड़बड़ अवश्य हुई लेकिन यह धारा अवरुद्ध नहीं हुई। 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' एक ऐसी पुस्तक है, जो भारत के युवाओं को अवश्य पढऩी चाहिए।

पुस्तक : भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा
मूल्य : ६० रुपए
लेखक : सुरेश सोनी
प्रकाशक : अर्चना प्रकाशन
१७, दीनदयाल परिसर, ई/२ महावीर नगर,
भोपाल-४६२०१६, दूरभाष - (०७५५) २४६६८६५
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